Monday 24 September 2018

पादप हार्मोन्स (plant hormones)

पादप हार्मोन्स (plant hormones):
पौधों की जैविक क्रियाओं के मध्य रासायनिक समन्वयन पाया जाता है। इन रसायनों को पादप हार्मोन्स (plant hormones) कहते हैं। पादप हार्मोन्स विशेष प्रकार के जटिल कार्बनिक रासायनिक पदार्थ है जो विभिन्न जैविक क्रियाओं का नियन्त्रण एवं नियमन करते है, जैसे - वृद्धि, पतझड़, पुष्पन, फल निर्माण फलों का परिपक्व होना प्रसूति, अनुवर्तन गतियाँ आदि। पादप हॉमोंन्स के निम्नलिखित पाँच समूहों में बाँटा जा सकता है-
(क) आक्सिन
(ख) जिबरेलिन्स
(ग) साइटोकाइनिन्स
(घ) ऐबसीसिकअम्ल ( वृद्धिरोधक )
(ङ) एथिलीन गैंस|
1. आँक्सिन (Auxins):
वे पदार्थ है जो प्ररोह की कोशिकाओं में दीर्घीकरण (elongation) प्रक्रिया को प्रेरित करते हैं। इसके अतिरिक्त आँक्सिन अनेक क्रियाओं को भी प्रभावित करते हैं। अब प्राकृतिक रूप में पौधे के अन्दर मिलने वाले आँविसन्स के अतिरिक्त समान व्यवहार व रासायनिक संरचना वाले संश्लेषित पदार्थ ज्ञात है, जिनका कृत्रिम रूप से उपयोग किया जा सकता हैं।
आक्सिन का उपयोग (Application of Auxins):
(1) वृद्धि दर (growth rate) पर प्रभाव डालते है, क्योंकि ये कोशिकीय दीर्घीकरण (elongation) को प्रेरित करके वृद्धि-दर पर प्रभाव डालते हैं।
(2) अनुवर्तन गति (tropic movements) - प्रकाश, गुरुत्वाकर्षण आदि के प्रभाव से जड़ व तनों में होने वाली अनुवर्तन क्रियाएँ आकिस्न्स की सान्द्रता से नियन्त्रित होती हैं। आक्सिन की सान्द्रता तने में वृद्धि दर को प्रेरित करती है और जड़ में वृद्धि का संदमन करती है|
(3) शीर्ष प्रमुखता या प्रभाविता (Apical dominance) - तने के शीर्ष पर उपस्थित वर्धी कलिका से बनने वाले पादप हॉर्मोन कक्षस्थ कलिकाओं की वृद्धि को बाधित करते हैं। "शीर्ष कलिका को काटकर हटा देने से पाशव्रीय कलिकाएँ शीघ्रता से वृद्धि करने लगती हैं।
(4) ऊतक विभेदन के लिए आँक्सिन्स का उपयोग बागवानी में किया जाता है, उदाहरण के लिए - लगाई जाने वाली कलम को यदि आंक्सिन के घोल में पहले से ही डूबा लिया जाए तो उसमें जड़े शीघ्र व अधिक निकलती हैं।
(5) अनिषेकफलन (parthenocarpy) के लिए आँक्सिन्स को पुष्पन के पश्चात् पौधों पर छिडका जाता है|  अनिषेकफल (parthenocarpic fruits) बीजरहित (seedless) होते है क्योंकि इनका निर्माण बिना निषेचन के होता है।
(6) पतियों, फलों आदि का विलगन (abscission) रोकने के लिए आक्सिन्स का उपयोग किया जाता है।
(7) अपतण निवारण (weed killing) के लिए 2-4D जैसे आंविसन्स का उपयोग किया जाता है। इससे एकबीजपत्री फसल से द्विबीज़पत्री जंगली पादप नष्ट किए जा सकते हैं।
(8) प्रसुप्तावस्था में प्रभाव (effect in dormancy) - आक्सिन्स कलिकाओं की वृद्धि में अवरोध उत्पन्न करते है अत: आलू आदि के समय के संचय के समय इनका उपयोग लाभकारी है।
इस प्रकार कृषि, बागवानी, उद्यान विज्ञान आदि में आक्सिन्स का प्रयोग अनेक प्रकार से उपयोगी है।
2. जिबरेलिन्स (Gibberellins) :
जिबरेलिन्स की खोज कुरोसावा (Kurosawa) नामक वैज्ञानिक ने सन् 1926 ई. में की थी।
याबुता तथा सूमिकी (Yabuta and Sumiki) ने इसे जिबरेला फूजीकुरोई (Gibberella fujikuroi) नामक कवक से प्राप्त किया था। इनके प्रभाव से तने के पर्व (internodes) लम्बे होते हैं।
उपयोग (Application) :
जिबरेलिंस निम्नलिखित जैविक क्रियाओं को प्रभावित करते हैं-
(1) कोशिका दीर्घीकरण (cell elongation) को प्रेरित करते हैं।
(2) अनिषेकफलन (parthenocarpy) - बिना निषेचन के ही अणडाशय से बीजरहित फल का विकास हो जाता हैं।
(3) कैम्बियम की सक्रियता को बढ़ा देते है जिससे पौधे की मोटाई में वृद्धि होती हैं।
(4) बोल्टिग प्रभाव (Bolting effect) - इसके द्वारा द्विवर्षी पौधे एकवर्षी हो जाते हैं। आनुवंशिक रूप से नाटे पौधे लम्बे हो जाते हैं।
(5) प्रसुप्ति (dormancy) भंग करना तथा बीजों में अंकुरण को बढाना।
(6) अंगूरों का आकार एवं गुच्छों की लम्बाई बढ़ाने में भी जिबरेलिन्स प्रयोग में लाए जाते हैं।
(7) पुष्प एवं फलों के विकास में जिबरेलिन्स सहायक होते हैं।
3. साइटोकाइनिन्स (Cytokinins) :
पौधों में ऐसे महत्वपूर्ण यौगिक पाए जाते है जो कोशिका विभाजन को प्रेरित करते हैं। इनमें सबसे प्रमुख पदार्थ काइनेटिन (kinetin) समझा जाता है। अब तो ऐसे पदार्थ ज्ञात हो चुके है जो काइनेटिन की तरह न्यूक्लिक अम्लों के अपघटन से बनते है तथा काइनेटिन समूह के ही यौगिक होते हैं। इस समूह के पदार्थों को ही जो काइनेटिन की तरह कार्य करने है, साइटोकाइनिन्स (cytokinins) कहा जाता है। काइनेटिन तथा जिएटिन (zeatin) नामक रसायन साइटोकाइनिन्स का कार्य करते हैं! साइटोंकाइनिन्स प्राकृतिक रूप से आक्सिन के साथ मिलकर उत्तक विभेदन को प्रभावित करते हैं।
4. ऐबसीसिक अम्ल  (वृद्धिरोधक) (growth Inhibitors) :
ये आँक्सिन तथा जिबरेलिन्स के प्रभाव को नष्ट या अवरोधित करते हैं। ये वृद्धि का संदमन करते हैं। पौधों में प्रसुप्तावस्था (dormancy) तथा जीर्णावस्था को प्रेरित करते हैं; जैसे ऐबसीसिक अम्ल या टरपोलाइनिक अम्ल (terpolinec aicd)। कुछ वृद्धिरोधक जैसे सोलेनिडीन (solanidine) आलू के कन्दों में कलिकाओं के प्रस्फुटन को रोकता हैं।
5. एथिलीन (Ethylene) :

यह एक गैसीय पादप हार्मोन है जो सामान्यतया वृद्धिरोधक का कार्य करता हैं। यह पौधों में पुष्पन को प्राय कम करता हैं। यह अनन्नास (pineapple) में पुष्पन को तीव्र करता हैं। यह विगलन को प्रेरित करने वाला हॉर्मोन हैं। यह मुख्य रूप से फलों को पकाने में सहायक होता हैं।
1 यह सामान्यतया पुष्पन का संदमन करती है, लेकिन अनन्नास (pineapple) में पुष्पन को प्रेरित करती हैं।
एथिलीन फलों को पकाने में सहायक गैस हार्मोन्स हैं।

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